रिश्तों की भूमिका
रिश्तों की भूमिका
रिश्तों को समझने के लिए रिश्तों को समय दिया जाता है
समय देकर ही उन रिश्तों को संवारा जाता है,
विश्वास और क़दर नहीं होती जिनको सच्चे उन रिश्तों की,
बेवजह उनसे उम्मीद लगाया नहीं जाता है,
जो इंसा रिश्तों में जुड़कर भी उसे सच्चा रिश्ता ना समझे,
ऐसे लोगों से दूर रहना,उचित समझा जाता है,
आज तो बस दिखावे के लिए लोगों ने नए रिश्ते बनाए हैं,
नएपन में पुराने रिश्तों को भुलाया नहीं जाता है,
रिश्ते वो अगर सच्चे हो तो मुसीबत के वक्त काम आते हैं,
अपनों के लिए अपनों से लड़ा नहीं जाता है,
जब कोई आपके लिए बिन मांगे ही बहुत कुछ कर देता है,
खुदगर्जी में उसका दिल दुखाया नहीं जाता है,
बहुत अच्छा भाग्य हमारा जो हमें इतने प्यारे रिश्ते मिले हैं,
छोटी सी गलती के लिए उन्हें ठुकराया नहीं जाता है,
हर रिश्तों में विश्वास और पारदर्शिता होना बहुत जरूरी है,
विश्वास बनकर हर रिश्ते को ऊपर उठाया जाता है।