STORYMIRROR

SATISH DHYANI

Tragedy

4  

SATISH DHYANI

Tragedy

अगर जुदाई न होती

अगर जुदाई न होती

1 min
8

अगर  किसी  की  ज़िंदगी  में, जुदाई न होती।

तो कभी किसी को किसी की, याद आई ना होती।।

हर  लम्हा  गुजरता  रहता, ज़िंदगी के साथ में।

शायद  रिश्तो में वह गहराई, कभी ना  होती।।


यह माना हम कभी उन्हें, दिल से भुला ना पाते।

तुम  जब  भी  पुकारते, हम तुम्हारे पास होते।।

फिर क्यों तुम जरा सी बात पर, नाराज  होती।

जब याद आती तेरी, आंसुओं से पलकें भीग जातीं।।


कोई  होता  तो, दर्द  मेरा  वह  समझ  पाते।

कोई  होता तो, जिसे हम समझा भी  पाते।।

जीने की उम्मीदें काश ! अगर टूटी ना  होतीं।

फिर कभी तेरी कमी, तन्हाई में महसूस ना होती।


करें क्यों दिल्लगी, जब मोहब्बत मुकम्मल ना होती।

आरजू हमारी चाहतों की, कभी आदी हुई ना होती।।

अगर तुझे अपनी रुसवाई का एहसास हुआ ना होता।

इन  भटकती राहों में हम, तुझे ढूंढते ना होते।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy