दीमक
दीमक
कुर्सी के एक कोने में,
लग गयी दीमक कहीं से।
मैं,
देख रहा था।
किस तरह,
धीरे... धीरे... धीरे...
वह ख़त्म कर रही थी कुर्सी।
दिन, हफ़्ते और महीना
ख़त्म हुई कुर्सी पर तब ?
दीमक ख़ुद भी न बची।
मैं, देख रहा हूँ।
धरती के एक कोने में
लग गयी मानवता,
और किस तरह मानव
निगल रहा पृथ्वी,
किन्तु, ख़ुद ख़त्म होने से पहले ही,
पहुँच में उसके दूसरी कुर्सी।
मानव दीमक से भी ख़तरनाक है।