गुरु! मेरा कौन?
गुरु! मेरा कौन?
कहते हैं सब गुरु भगवान् होता है,
मगर मेरा गुरु मेरा भगवान नहीं,
वो दोस्त है मेरा,
साथ मस्ती करता है,
खेलता है,
लड़ता है,
अकड़ता भी है,
पर साथ है हरदम,
क्योंकि वो दोस्त है मेरा।
कहते हैं सब गुरु भगवान् होता है,
मगर मेरा गुरु मेरा भगवान नहीं,
वो पिता है मेरा,
समझाता है,
डांटता है,
गिराता भी है,
कंधे पर बैठाता है
क्यों?
क्योंकि बनूँ मैं सक्षम
चाहत है यही है उसकी,
क्योंकि वो पिता है मेरा
कहते हैं सब गुरु भगवान् होता है,
मगर मेरा गुरु मेरा भगवान नहीं,
क्योंकि वो माँ है मेरी,
रखती है ध्यान पसंद नापसंद का,
रखती है ध्यान अपने बच्चे की ख़ुराक का,
नाराज़ होती है तो बात नहीं करती,
लेकिन खबर मेरी हर पल रखती,
क्योंकी वो माँ है मेरी
कहते हैं सब गुरु भगवान् होता है,
मगर मेरा गुरु मेरा भगवान नहीं,
वो भाई है मेरा,
हँसता है साथ
तो ग़म में भी है,
लाख मतभेद हो हमारे बीच,
चुटकुले मुझे हंसाने खोजता रहता है,
और ये मतभेद बौना होता जाता है,
प्यार जीत जाता है,
क्योंकि वो भाई है मेरा
कहते हैं सब गुरु भगवान् होता है,
मगर मेरा गुरु मेरा भगवान नहीं,
वो परिवार है मेरा।