मौके की तलाश में
मौके की तलाश में
मुझमें भी प्रतिभा है, मैं भी मेधावी हूँ।
मैं भी दुनिया को कुछ खास दे सकता हूँ।
मुझमें भी मानवता है,
मैं अन्य लोगों की तरह क्रूर और कटरपंथ नहीं।
मुझे पहचानो ,मुझे खुद को तराशने का
बस एक मौका दे दो, मेरे पंखों को मत काटो,
मुझे भी नील गगन में विचरण करने दो, मुझे भी उड़ने दो।
मैं भी नोबेल, मैग्सेसे, पुलितजर,
बाफटा और न जाने कितने विज्ञान,
साहित्य पत्रकारिता की तमगे और
पुरस्कार अपने योग्यता से पा सकता हूँ।
मुझे खुद के हवाले छोड़ दो,
मैं खुद का पहचान पा सकते हूँ।
मेरे हाथ में असला, बारूद, बंदूक नहीं,
कलमें, किताबें और कापियां थमाओ तुम।
मिटाएंगे आतंक की तस्वीर,
लिखेंगे मेहनत से खुद की तकदीर।
दिखा देंगे दुनिया को की रेगिस्तान में
अब भी बचा नखलिसतान है,
हैवानियत की गर्त में बचा अब भी
इंसानियत की कुछ दिल छु जाने वाली दास्तन है।
मेरी आवाज़ सुनो, मुझे पहचानो,
मुझे निखरने का एक मौका देकर बिखरने से बचा लो।
मुझे बस एक मौका दे दो, खुद को संवारने और
हमवतन, हमसफ़र को संवारने का।
