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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy Action Classics

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy Action Classics

पेपर लीक

पेपर लीक

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जब लीक होता है पेपर 

तो लीक सिर्फ पेपर ही नहीं हो रहा होता है !

लीक हो रहा होता है उस बाप के हाड़ तोड़ मेहनत के खून पसीने की कमाई ,

उस माँ के जोगाये जेवर जो बड़ी संभाल के रखी थी 

जो हर साल जितिया के समय ही निकालती है!

और लीक हो रहा होता है उस अभ्यर्थी के उम्र और अटेम्पट ! 


जो मुट्ठी बांधे हथेली में रखे रेत की भांति धीरे-धीरे सब फिसल जाता है,

पेपर लीक के साथ ही लीक हो जाता है स्वंय का आत्मविश्वास,

व्यवस्था पर आस, मां-बाप की उम्मीद !


लेकिन हठी दीनानाथ भी कहां मानने वाला,

वह हर लीक के बाद एक और लीक का करता है इंतजार ....

गहने- जेवर, उधार -कर्ज,जमीन -जायदाद सब कुछ उसका लीक हो चुका होता है, 

और इस तरह उसका वर्तमान और भविष्य धीरे-धीरे पूरी तरह से लीक हो जाता है !

उन कागजातों से, जिनके के द्वारा उसे अपनी माली हालत ठीक करने की उम्मीद थी !


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