विनाश के मार्ग पर दुनिया
विनाश के मार्ग पर दुनिया
गाजा पट्टी में लाख लोग काल के गाल में समा गए , बेरूत के बम धमाके में लेबनान के सैकड़ों बच्चे बेसुध हुए,
खारकीव में हजार लोगों का खात्मा हुआ, रफाह में एक मां से बच्चे के बिछड़र फफकना,
ईरान द्वारा इजराइल की सीमा में दागी गई दनादन मिसाइल
इस्राइल के रिहायशी इलाके में फ़िदायीन हमले,
रूस के सीमावर्ती इलाकों में बमबारी से हताहत लोग, ये सब हमारे लिए महज आंकड़े हैं,
जो अल- सुबह हमारे अखबारों की सुर्खियां बना करती हैं।
न्यूज़ एंकर की की भाषा में कहें तो ब्रेकिंग न्यूज़ बना करती हैं!
इन पर हमारी पैनी न, सही मगर नज़र तो बनी ही रहती है !
हमास, हिज्बुल्लाह, हुती, ईरान, इजरायल, फिलिस्तीन, रूस और यूक्रेन
ये सभी शतरंज के मोहरे से प्रतीत होते हैं, कब एक की चाल दूसरे पर भारी पड़ती है
और खेल की दशा के साथ दिशा ही बदल जाती है, &nbs
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लड़ाई एक ओर जहां अस्तित्व बचाने की है तो दूसरी ओर खुद को साबित करने की !
मगर गनीमत यह कि इस खेल को कोई और खेल रहा होता है बैठकर,
बीच-बीच में तर्किये और भारत सरीखे राष्ट्र की मध्यस्थता की खबरें भी मीडिया में आ ही जाती है।
मगर इन सब के बावजूद भी मुक दर्शक बनकर देखता रहता है संयुक्त राष्ट्र संघ,
आते हैं राष्ट्र संघ के अध्यक्ष के नपे तुले संतुलित बयान,
या यूं कहें गिड़गिड़ाते हुए शांति एवं संघर्ष विराम का आह्वान
बुलाई जाती है सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक, मगर हासिल वही 'नील बट्टा सन्नाटा '!
मगर जिनके इशारे पर 'शह और मात' का खेल चलता रहता है!
वह आंकड़ों पर नजर बनाए रखता है बदलते आंकड़ों के साथ बदल जाती है
उसकी भाषा भी, मानवता की परिभाषा भी
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