आखेटक
आखेटक
है ताक में आखेटक करने को आखेट गिलहरियों का,
रहता शेर आतुर करने को आखेट कमजोर पशुओं का,
करने को रहते तत्पर आखेट सभी अपने से निम्नतर का,
परन्तु आखेटक केवल वह नहीं जो करता आखेट पशु-पक्षियों का।
विकसित व बलवान देश भी लगाये रहते नज़र ,
विकासशील एवं अविकसित देशों के उपर,
कब और कैसे किया जाये आखेट किस देश का,
कर आखेट इंग्लैण्ड ने भारत का ही नहीं अनेक देशों का,
किये थे अत्याचार अनंत।
है आखेटक वह सम्पन्न मानव भी करता शिकार जो मानव का,
बना दास विपन्न व्यक्ति को, करता उसका शोषण ही नहीं वरन,
करता रहता प्रताड़ित मानसिक व शारीरिक रूप से भी,
बनता रहता आखेट वह पालने को पेट अपना और परिवार का।
होती है शिकार बेसहारा व कमज़ोर औरत पुरूष के अत्याचार की,
कर खिलवाड़ शरीर से उसके बैठा देता कोठे पर उसको,
बना खिलौना छोड़ देता रोने को उम्र भर ख़ून के आंसू,
प्रत्येक रात मरती है वह औरत जीने के लिये एक जीवन ।
शिकारी है वह पति भी करता जो शिकार आर्थिक रूप से निर्भर पत्नी का,
पति आज्ञा की अवहेलना पर झेलना पड़ता शारीरिक दण्ड,
निजी आवश्यकताओं के लिये भी तकना पड़ता मुँह पति का,
बनती रहती शिकार हर पल मानसिक हिंसा का बच्चों के लिये।
व्यभिचारी भी क्या आखेटक नहीं?
मासूम बच्ची को बना शिकार हवस का,
देता पटक सड़क पर मृत्यु की गोद में,
है क्या भेद गिलहरी और मासूम बच्ची के आखेट में????