रामलला
रामलला
हुई समाप्त प्रतीक्षा रामलला के दर्शन की,
झुका शीश जुड़े हाथ प्रेम से ओतप्रोत हृदय,
बन्द नेत्रों से बहती अश्रुधारा अविरल,
चरण पखार रहीं छोटे से प्रभु राम लला के।
समेट भावुकता को नेत्रों के द्वार से हृदय में,
की चेष्टा पलक उठा करने दर्शन रामलला की,
कौध गई बिजली सी नेत्रों में देख श्रृंगार भव्य,
बाल सुलभ आभा चेहरे पर, स्मित मुस्कान लिये होंठों पर,
कमल नेत्रों में समुद्र सी गहराई में भर असीमित प्रेम,
खड़े हैं रामलला करते वर्षा आशीर्वाद की भक्तों पर।।
करते रहना प्रभु दया यूँही प्रत्येक दीन दुखी पर,
हो भरा पेट अन्न से, रहे न कोई ख़ाली पेट,
हो कपड़ा ढ़कने को तन, करना पड़े न सामना लज्जा का,
मिले छत सभी को सिर के उपर, न सोये कोई खुले आसमाँ के नीचे,
भर दो ह्रदय सभी के प्रेम, करुणा, सत्य और शुचिता से,
है करबद्ध प्रार्थना प्रभु, करते रहना बास सदा भारत की माटी के कण कण में।।
