अरे वो तो अशुअंचल है देख सको तो देखे कविता रो रही है। अरे वो तो अशुअंचल है देख सको तो देखे कविता रो रही है।
संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी। संघ के पथ पर चलने कबसे उत्सुक थी।
जी करता है बना पतिंगा, जान लुटा दूँ मर जाऊं। जी करता है बना पतिंगा, जान लुटा दूँ मर जाऊं।
तप त्याग का व्रत धारण करने वाली एकाकी जीवन में बिखेरती रही फूलों की सुगंध।। तप त्याग का व्रत धारण करने वाली एकाकी जीवन में बिखेरती रही फूलों की सुगंध।...
सुख-दुख का है साथी कौन, हे भगवन बिन तेरे कौन... सुख-दुख का है साथी कौन, हे भगवन बिन तेरे कौन...
प्यार के तजुर्बे में, दिल की जवानी है। चार दिन की सुहानी धूप, फिर वही मनचाही छेड़खानी है। प्यार के तजुर्बे में, दिल की जवानी है। चार दिन की सुहानी धूप, फिर वही मनचाह...