नर्स
नर्स
वो है एक परिचारिका
पर सखी की तरह
रखती थी सबका ख्याल !
जानते थे लोग उसको
असली नाम से नहीं
बल्कि उसके सेवा भाव से !
उसके दिल की गहराइयों में
भरा था अपनापन,
ममत्व और करूणा !
उन मरीजों के लिए
जो अपने जीवन की डोर
छोड़ देते थे उसके सहारे !
खुद के दर्द से बेखबर
अधरों पर हँसी सजाए
मासूम दिलों पर करती थी राज !
कितने लोग कितने कष्ट
असहनीय पीड़ा को
सहती थी हर पल !
अपनों को खोजती हुई
सूनी निगाहें निस्वार्थ
बाँटती रही प्रेम व दया !
कभी ये नर्स माँ सी लगती
तो कभी अनजान राहों का राही
और कभी महादेवी का गिल्लू !
जिसके कोमल स्पर्श की छुअन
बेजान में भी डाल देती थी जान !
तप त्याग का व्रत धारण
करने वाली एकाकी जीवन में
बिखेरती रही फूलों की सुगंध !
काश ! लौट आए फिर
मदर टैरेसा जैसी सेवा-भावना
संजोने वाली महान आत्मा वाली नर्स !