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Dr.Purnima Rai

Others

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Dr.Purnima Rai

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हर सुबह कुछ कहती है

हर सुबह कुछ कहती है

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हर सुबह कुछ कहती है

मन में उल्लास भरती है।।

शांत सौम्य है पर्यावरण

सुगंधित हवा ही बहती है।।

धूप सुनहली जब निकली

धरा का आंगन गहती है।।

रश्मि स्वर्णिम होली रंग सी

पीड़ा जग की सहती है।।

मेल हुआ जब अपनों का

सुबह सलाम तब करती है।।

बिखरे रंग अबीर गुलाल

मिलन की आस मन रहती है।।

नव वधू बन होली आई

"पूर्णिमा" संताप सब हरती है।।



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