हर सुबह कुछ कहती है
हर सुबह कुछ कहती है
1 min
307
हर सुबह कुछ कहती है
मन में उल्लास भरती है।।
शांत सौम्य है पर्यावरण
सुगंधित हवा ही बहती है।।
धूप सुनहली जब निकली
धरा का आंगन गहती है।।
रश्मि स्वर्णिम होली रंग सी
पीड़ा जग की सहती है।।
मेल हुआ जब अपनों का
सुबह सलाम तब करती है।।
बिखरे रंग अबीर गुलाल
मिलन की आस मन रहती है।।
नव वधू बन होली आई
"पूर्णिमा" संताप सब हरती है।।
