Dr.Purnima Rai

Others

4  

Dr.Purnima Rai

Others

हर सुबह कुछ कहती है

हर सुबह कुछ कहती है

1 min
314



हर सुबह कुछ कहती है

मन में उल्लास भरती है।।

शांत सौम्य है पर्यावरण

सुगंधित हवा ही बहती है।।

धूप सुनहली जब निकली

धरा का आंगन गहती है।।

रश्मि स्वर्णिम होली रंग सी

पीड़ा जग की सहती है।।

मेल हुआ जब अपनों का

सुबह सलाम तब करती है।।

बिखरे रंग अबीर गुलाल

मिलन की आस मन रहती है।।

नव वधू बन होली आई

"पूर्णिमा" संताप सब हरती है।।



Rate this content
Log in