छोटी सी बात
छोटी सी बात


तुम किसे छोटी सी बात कहते हो?
जब दिन भर अझेल झेल कर
शाम को तुमसे वो अपना
दुःख बयान करती है ,
तुम उसे छोटी सी बात कहते हो!
नहीं देखते उसकी वेदना,
उसे बताने के लिये
तुम्हारा इंतज़ार
और इन सबसे बढ़ कर
तुम्हारे ऊपर उसका विश्वास!
तुमसे लगाई न्याय की आस!
छोटी सी बात! !
ये छोटी सी बात है ?
जब खुद को कर्तव्य की
हर कसौटी पर कसने के बावजूद
तुम्हें लापरवाह, अक्षम
का तमगा यूँ ही दे दिया जाता है!
क्योंकि उन्हें शायद तुम्हारी
शकल पसंद न आई।
तो मेरे भाई,
ये छोटी सी बात होती है?
जब कोई सरे आम
तुम्हें इसलिए
नीचा दिखाता है क्योंकि
तुम गलत नहीं हो बल्कि
कमज़ोर हो, अकेले हो
और झुण्ड में कुत्ते भी
अकेले शेर का शिकार
कर लेते हैं!
फिर तुम करो प्रतिकार
तो मेरे यार
ये बातें 'छोटी सी बात 'होती हैं!
छोड़ भी दो सब तो तुम
' कमज़ोर' या कमअक्ल
फालतू में पलकें भिगोती हैं!
ये सब तो होता है
'छोटी सी बात 'होती है!!
तो चलो आज तुम्हें
साफ साफ बताते हैं -
हम बड़े लोग नहीं हैं
तुम्हारी तरह!
छोटे हैं,
छोटी छोटी बातों को
दिल से लगाते हैं
छोटी छोटी बातें
काश !समझ पाते तुम
तो तुमसे ये दूरी न होती
हमारी सारी कोशिशें भी
अधूरी न होतीं।
काश, छोटी छोटी बातों को
बड़ी तरह से समझ पाते तुम
तो अपने पास हमें भी
खड़ा पाते तुम,
अपने साथ खड़ा पाते तुम।।