मीत मेरे बचपन के
मीत मेरे बचपन के
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए
छोड़ गांव की गलियां
शहर की भीड़ का हिस्सा हो गए
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए।
भूल बचपन के सब खेल सुहाने
शामिल जिंदगी की दौड़ में हो गए
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए।
गांव की वो गलियां कल-कल करती नदियां
बात सपनों की अब हो गए
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए।
मिल-जुलकर मनाना सब तीज-त्यौहार
बांटना आपस में खुशियां और प्यार
सीमित अब हो गए
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए।
छोड़ गांव की मदमस्त बयार
आदी कूलर- एसी के हो गए
भूल गांव के गन्नों की मिठास
प्रेमी पेप्सी- कोला के हो गए
मीत मेरे बचपन के न जाने कहां खो गए।
