दिखाई नहीं देता
दिखाई नहीं देता
कमज़ोर को मिलते हैं
केवल दिलासे ही ,
मझधार में हो नैया ,
तो किनारा सुझाई नहीं देता !
मीठी छुरियाँ ही मिलती हैं
ज़माने में अब तो,
सच्चा सहारा ,अब
दिखाई नहीं देता !
फूल भी नकली हैं,
महक भी नकली !
मुस्कानें नकली हैं,
चेहरे की चमक भी नकली!
रूप भी नकली है,
रंग भी नकली !
नकली है ये दुनिया
असली एक भी इंसा
अब दिखाई नहीं देता !
मंदिर मंदिर भी भटका ,
और मस्जिद में भी सर पटका
खुदा ने न सुनी मेरी
और भगवान को भी
अब सुनाई नहीं देता!
जब अपनों से मिले धोखा
और गैरों से मिले ठोकर
तो अपनों और गैरों में
फर्क दिखाई नहीं देता !
कुछ लोग मर रहे हैं,
कुछ चीखते हैं देखो !
पर कुछ को सिक्कों की
खनक के आगे
ये शोर सुनाई नहीं देता!
नवाबों का शहर बना
जलती हुई लाशों का शहर!
अब लखनऊ मुस्काता
दिखाई नहीं देता ।।