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Vandana Singh

Tragedy

4  

Vandana Singh

Tragedy

दिखाई नहीं देता

दिखाई नहीं देता

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कमज़ोर को मिलते हैं 

केवल दिलासे ही , 

मझधार में हो नैया , 

तो किनारा सुझाई नहीं देता ! 


मीठी छुरियाँ ही मिलती हैं 

ज़माने में अब तो, 

सच्चा सहारा ,अब 

दिखाई नहीं देता ! 


फूल भी नकली हैं, 

महक भी नकली ! 

मुस्कानें नकली हैं, 

चेहरे की चमक भी नकली! 


रूप भी नकली है, 

रंग भी नकली ! 

नकली है ये दुनिया 

असली एक भी इंसा  

अब दिखाई नहीं देता ! 


 मंदिर मंदिर भी भटका , 

और मस्जिद में भी सर पटका 

 खुदा ने न सुनी मेरी 

और भगवान को भी 

अब सुनाई नहीं देता! 


जब अपनों से मिले धोखा 

और गैरों से मिले ठोकर 

तो अपनों और गैरों में 

फर्क दिखाई नहीं देता ! 


कुछ लोग मर रहे हैं, 

कुछ चीखते हैं देखो ! 

पर कुछ को सिक्कों की

खनक के आगे 

ये शोर सुनाई नहीं देता! 


नवाबों का शहर बना 

जलती हुई लाशों का शहर! 

अब लखनऊ मुस्काता 

 दिखाई नहीं देता ।। 



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