विवशता
विवशता
माफ़ करना
ओ! पुष्प की अभिलाषाओं
श्रृंगार तुम्हारा
इस बसंत भी
नहीं लौटा सका
जोड़ी थी कुछ अधिक
पसीने की बूँदें
कुछ हक़ीक़त ख़रीद लाने को
पर अफ़सोस
अल्प ही रही वो फिर से
माफ़ करना ओ!
ख़ुशियों की आशाओं
अधिकार तुम्हारा होठों पे
इस उत्सव भी
नहीं दिला सका
तपाया था बदन को
दिन दिन भर
पेट की आग बुझाने को
पर अफ़सोस
कम ही रहा काम फिर से
माफ़ करना
ओ! भूख की व्यथाओं
उपचार तुम्हारा
इस दिवस भी
नहीं खोज के ला सका
उलझे रहे उम्र भर
वहीं एक कोशिश
लम्बाई चद्दर की बढ़ाने को
पर अफ़सोस
छोटी ही रही वो फिर से
माफ़ करना
ओ! जीवन की विवशताओं
पार तुम्हारा
इस जीवन भी
नहीं पा सका