कुछ तो बोलो
कुछ तो बोलो
चेहरा देखकर कुछ समझ नहीं आता
मन में मचा है बवाल, कुछ तो बोलो
तुम्हारी खामोशी समझ नहीं आती
कैसे समझूं मैं, कुछ तो बोलो
हो सकता आन पड़ी हो तुम पर मुसीबत भारी
कोई कैसे समझे, कुछ तो बोलो
राज कई छिपे है खामोशी में तुम्हारी
या भ्रम पाले बैठा हूँ मैं, कुछ तो बोलो
बात करनी है तो बोलो, ना करनी हो तो बोलो
इस तरह अकेला बड़बड़ाता रहूं, कुछ तो बोलो
