कल फिर आना
कल फिर आना


कल फिर आना
मुस्कुराना बतियाना
मन की सारी बात बताना
ए दोस्त तू कल फिर आना
माना कि पहले जितना
वक्त नहीं है
चढ़ते-उतरते खेलते थे जिस पर
आंगन का वो
दरख़्त नहीं है
नहीं है वो कागज की नावें
और मिट्टी के खेल खिलौने
नही रही वो शाम की फुरसत
और बचपन के सपन सलोने
पर मैं वही हूं
तू वही है
राग प्रेम और नेह वही है
रजनीगंधा सा महकता
दिल में मेरे स्नेह वही है
बचपन की मासूमियत
लड़कपन की शरारतें
और कुछ यादें
अपने साथ ले आना
ए दोस्त तू कल फिर आना.