कल्पना होली
कल्पना होली


लो इस बार भी कई रंग ख़रीदे है मैंने,
लाल गुलाबी हरे और नीले ख़रीदे है मैंने।
अचानक से इस बार पता नही ये क्या हुआ ?
रंग लगाया जब किसी को तो चेहरा तुम्हारा क्यूँ दिखा ?
ये होली का दिन जब बीत जाएगी हम कितनों से मिले,
यह सोच सोच के फिर सबसे होली खेलने जाएँगे।
सच कहूँ मेरा दिल बहुत डरता है,
की कमीने दोस्त समझ तो नहीं जाएँगे।
और जब वो पूछेंगे की चेहरा किसका दिखता है ?
हम आपका नाम लेकर आपको बदनाम न कर पाएँगे।
हम होली कल्पना से ही मनाएँगे,
हम आपको बदनाम न देख पाएँगे।