मेरा इल्म
मेरा इल्म
मेरे इल्म से पढ़ने का इल्म तुझको हो नहीं सकता,
मैं समँदर हूँ कि कोई किनारा हो नहीं सकता।
मत जलो मेरे सोच से मेरे दुनिया के खुदाओं,
की मैं एक हूँ, दूसरा कोई मुझ जैसा हो नही सकता।।
फितरत है तुम्हारी दूसरों को परेशान करने का,
पर मैं इस बात से खुद को जाया कर नहीं सकता।
वे सोचते हैं कि क्या राज है इसकी सहजता का,
तुम्हें जानकारी देकर तुमको पागल कर नही सकता।।
आज तक बहुत चर्चे करते थे तुम पीठ पीछे मेरे,
अब सफल हूँ तो इसका चर्चा तुमसे हो नहीं सकता।
मुझ जैसे दुश्मन मिले सबको यही दुआ करता हूँ,
दोस्त तुम जैसा ईश्वर किसी को दे नहीं सकता।