कुछ मुक्तक
कुछ मुक्तक


आओ आज की शाम हसीन करते हैं
कुछ तुम कहो कुुछ हम अपनी कहते हैं।
एक दिन मुलाकात हुई थी मुुक़द्दर के खुदाओं से
उन्हें मालूम है ,हम आपकी सलामती की दुआ करते हैं।
हमारे महफ़िल की शान बढ़ती है आपसे,
जैसे सीतारों की शान बढ़ती है चाँद से।
कभी दुआ में जन्नत नहीं माँगी खुदा से,
हमें इल्म है दूरी हमारे दरमियान बर्दाश्त नहीं आपसे।