Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

manju gupta

Abstract

5.0  

manju gupta

Abstract

सृष्टि की सृजनहार बेटियाँ

सृष्टि की सृजनहार बेटियाँ

1 min
378


अब दब नहीं सकती आधी आबादी की ये बेटियाँ

जो दबाएँ इन्हें बन जाएँगी संहार की चिंगारियाँ,

नहीं हैं अब भोग, विलास, वासना की ये कठपुतलियाँ,

हैं ये प्रतिभाओं के आसमान पर चमकती बिजलियाँ।


अभावों की परिधियों को लाँघ के रुतवा है दिखा रहीं,

गीता – बबिता, सिंधु – दीपा की दीप -शिखा जगमगा रही,

देश की बेटियाँ अवनि, भावना, मोहना दुर्गा समान,

हौंसलों की उड़ान से थामती वायुसेना की कमान।


नवदुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी सम पूजे देश – संसार,

न समझो बेटियों को अब अबला, कमजोर देश – परिवार,

वक्त आने पर बनती लक्ष्मीबाई की शौर्य तलवार,

स्वामीभक्ति में बन जाती हैं ये पन्ना का त्याग – प्यार।


मिलता अब ” बेटी बचाओ – पढ़ाओ ” के संस्कारों से,

उपहारों में ” राज श्री ” का मान – सम्मान सरकार से।

सिरमौर करती सभ्यता – संस्कृति को जगत में शान से,

जल, थल नभ में कमा रहीं नाम कामयाबी की ध्वजा से।


मैके को महका के बेटियाँ महकाती हैं ससुराल,

बहन, बेटी, पत्नी, माँ बन फर्ज निभाती सालोसाल,

कुल निशानी को कोख में क़त्ल कर न बना कब्रिस्तान,

दो वंशों को जोड़कर ” मंजू ” सृजन करती है संतान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract