सत्यम् -शिवम् -सुंदरम्
सत्यम् -शिवम् -सुंदरम्
लेखक का मकान पंच तत्वों की नींव पर टिका ऐतिहासिक,
भौगोलिक, राजनीतिक उठक - पटक, साहित्यिक,
पौराणिक, आध्यात्मिक, धार्मिक संकल्पों का महल होता है
भावनाओं, अहसासों, संवेदनाओं से निर्मित कमरों में
मन की कलम से झरते हैं अनेक रंग गुनते हैं विविध रचनात्मक मंजर
कहीं उदासी, सिसकियों से भरी रिश्तेदारी तो कहीं
प्रेम का मौसम लिए हिना अपना सुर्ख रंग में नशीली मदहोश
निशा के हाथों में रचा, चाँद की आगोश में सिमटी मिलन की मुद्रा
फिर वहीं सौतन उषा के जगाने से आलोक का आगमन
तिमिर का बिछोह - विरह अंकित करते हुए निहारती है निर्विकार,
सहज, शांत श्वेत छत जिंदगियों को ओले, गर्म,
बरसात की विषमताओं को स्वामी भक्त बन के करती बचाव है
तीन रंग में रंगी दीवारों पर लटका विश्व का नक्शा
संग में लहराता कुर्बानियों से मिली आजादी का निशान होता है
बेचैन सत्ता, व्यवस्था, राजनीति, स्वार्थी इंसान को देख आता आक्रोश
नैतिक बल का होता पतन आतंक, नसलवाद, परमाणु शस्त्रों की होड़
करता विश्व परमाणु बमों पर बैठे देश भौतिकता में लिप्त रूस,
यूक्रेन के महायुद्ध लाशों के अंबार से पट्टेक्षत -विक्षत खून से सनी धरती माँ
रचता लोक जीवन के दुख, विरह, दर्द में आँसुओं की कहानी
कमरे में खबरें देता सशक्त, सबल इंटरनेट गूगल बाबा जैसा
महागुरु वहीं एक कोने में पड़ा बेचारा धर्मनिरपेक्ष
डस्टबिन जिसमें भरे होते हैं अवसाद, तनाव, असहिष्णुता ,
असफलता के फ़टे पन्नों में इतिहास की गोल -गोल गेंद
तभी आत्मीयता के झरोखों से आती ॐ कार का मधुर निनाद
असतो मा सदगमय
सत् श्री अकाल गॉड अल्लाह वंदे मातरम, जय हिंद राष्ट्र गीत रहता है
शाश्वत सत्यम् -शिवम् -सुंदरम् को लिए समरसता आँगन ।