दोहों में रक्षाबंधन
दोहों में रक्षाबंधन
शुभकर पूनम - चाँदनीं, बरसे मन के द्वार। प्रेम बढ़ाने आ गया, रक्षा का त्यौहार।।१
रँगतीं स्नेहिल राखियाँ, दिल का रेगिस्तान। है हर तार विशेष जो, बाँधे हिन्दुस्तान।।२
रंग - बिरंगी राखियाँ , लाईं अजब बहार। सजे मॉल बाजार हैं, करें गजब त्यौहार।। 3
रिश्ता भाई - बहन का, रक्षाबंधन पर्व। वादा रक्षित बहन से , नाता निभाय सर्व।।४
स्नेह तार ही बहन का, भाई को उपहार। इससे बढ़ कर कुछ नहीं , फीका हीरक - हार।। ५
राखी पावन प्रेम की, वादे - रस्म अटूट। गहना बंधन नेह का, कहीं न जाए टूट।। ६
लाया रक्षा पर्व है , राखी की सौगात। मन में हरियाली भरे, खुशियों की बरसात। ।७
बहनों को सम्मान दें, इसे निभाए देश। समता, रक्षण , मित्रता, उत्सव का संदेश। ।८
रक्षित राखी से बहन, कहे सुनहरे तार। गर्भ - मृत्यु अपराध है , कन्या है उपहार।। ९
सजा सखी मणिबंध पर, आज बहन का प्यार। बाँधे वचनों में सभी , अप्रतिम राखी तार।।10