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डॉ मंजु गुप्ता

Classics Fantasy Inspirational

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डॉ मंजु गुप्ता

Classics Fantasy Inspirational

हम हैं हिंद की नारियाँ

हम हैं हिंद की नारियाँ

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अब दब सकती नहीं देश की,

शक्ति से भरी सब नारी।

जो कोई इन्हें दबाएगा,

 उन्हीं पर पड़ेंगी भारी।


नहीं वासना विलास की अब,

भोग भरी कठपुतली ये। 

प्रतिभाओं के आसमान पर,

चमचम चमके बिजली ये।। 


चुप रहो, सहो, कुछ न कहो की,

स्वयं बेड़ियाँ तोड़ रही हैं।

गौरव गाथा खुद की रच के,

जग का रुख मोड़ रही हैं।


आजादी की आवाज बनी,

हक अपना जता रही है।

सबला सशक्त बनी देश में,

नूतन छवि बता रही है।।


धड़कन अपनी धड़कन पर रख, 

दे प्यार ये नारियाँ हैं।

बेटी बनके महकाती घर,

सृष्टि की मधु क्यारियाँ हैं।।


बहना बन बाँधे भाई की,

कलाई पर राखियाँ हैं।

करे श्रृंगार प्रेम के लिए,

लगे मनहर साखियाँ हैं।।


समय - समय पर बन जाती है,

रजिया, झाँसी की रानी।

अंगार भरी राह पर बने, दुर्गा,

दामिनी, भवानी।।


सीता का धीरज बनके वह 

देती है अग्नि परीक्षा।

हर क्षेत्र में बाजी मार के,

बनती जीवन की दीक्षा।।


मीरा,अमृता की रचनाएँ,

ईश भक्ति बता रही हैं।

कलम उठा के अस्तित्व स्वयं,

अपना वे जता रही है।।


चाह मेरी मिट्टी वतन की,

मिट्टी में मैं मिल जाऊँ।

बेटी का ले मैं पुनर्जन्म, 

झंडे को गले लगाऊँ।।


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