बेटी
बेटी
मेरा भारत बदल रहा है ऐसा
कुछ कुछ लग तो रहा है
बेटी पढाओ बेटी बचाओ
ऐसे नारों से अब नया
भारत शायद बन रहा है
हाँ शायद अब भी बदलाव के लिए
कुछ और नया करना होगा
बेटी को बेटा समझो
इस सोच को भी बदलना होगा
इस सोच में भी तो बेटा ही आगे है
बेटी का अस्तित्व
अभी भी कमतर आंके है
बेटा-बेटी इक रथ के दो पहिए
दोनों मिलकर रथ को खींचे
दोनों का काम समान
न कोई छोटा न महान।