हम प्यार बांटने निकले हैं ..!
हम प्यार बांटने निकले हैं ..!
हम प्यार बांटने निकले हैं
लेके चले हैं संग काफ़िला,
सबको मिलेगी यहां ढेरों खुशियां
ना गम का कोई फलसफा होगा।
सबके चेहरों में अब नूर होगा
न बहेंगे अब आंसू किसी के
गैर को भी बना लेंगे हम साया ,
दूसरों के दर्द को पीकर खुशी से।
गिले शिकवे और शिकायत अब कहां
भेदभाव दूरियां सब यहां मिट जायेंगे
नफरतों को मिटाने निकले हैं हम तो
बेपनाह खुशियां सब यहां पाएंगे।
अब न होगा यहां बटवारा दिलों का
न वैमनस्य का कोई भाव होगा,
एक कुंए का पानी पीकर सब
कहीं फिर खुशी से सांझा चूल्हा जल रहा होगा।
फिर खेतों में लहराएगी फसलों की बालियां
भूखा न यहां अब कोई सो रहा होगा
हाथों में हाथ लेकर जब चलेंगे हमसब
हर किसी को बढ़ने का अवसर मिल रहा होगा।
एक नए भारत की अलख जगाने निकले हैं
यहां ना बेटे बेटियों में कोई भेदभाव होगा,
प्यार दुलार मिलेगा सबको अब यहां
खुशहाल देश हमारा ही आगे होगा।
रीतियां कुरीतियां आडंबरों से आगे बढ़कर
विज्ञान की सीढियां हर कोई चढ़ रहा होगा,
नए नए अविष्कारों से लहराएगा परचम भारत का
दूर अंतरिक्ष में भी डंका भारत का बज रहा होगा।
शांति सद्भाव का सामंजस्य स्थापित कर
भारत फिर से विश्व गुरु बन रहा होगा,
ना युद्ध होंगे अब ना शहर तबाह होंगे
ना विस्थापन की मार अब कोई सह रहा होगा ।
ना बच्चे अपनों से अब बिछड़ेंगे
ना अनाथालय का कोई नामों निशां होगा,
हर कोई पढ़कर हासिल करेगा मंजिल अपनी
अपनी उम्मीदों को हर कोई बयां कर रहा होगा।
सीमाएं मिट कर सिमट रही होंगी
हाथों में हाथ जुड़ रहे होंगे
पंछी नील गगन में फिर उड़कर
शांति सद्भाव का संदेश दे रहे होंगे।
