देश पुकारे...
देश पुकारे...
देश पुकारे वीर सपूतो,
शंखनाद अब हो,
मां माटी की लाज बचाने
प्राणों से ना मोह हो।
हर धड़कन में देश बसे
हर सांस में हो इसका मान,
तिरंगे की शान में सदा
करूं मैं अर्पित अपने प्राण।
नदियां कहे कहानी इसकी
पर्वत गाए गान,
कण कण में है रक्त मिला
वीरों का बलिदान।
कर्म बने पूजा जीवन की
सेवा ही हो धर्म,
देश हित में जो जिए मरे
वही सच्चा कर्म।
ना जाति पूछे ना मज़हब कोई
एक ही मेरा स्वाभिमान,
एक तिरंगा एक ही सपना
बस भारत हो मेरी पहचान ।
आओ मिलकर यह प्रण करें,
ना झुके भारत का शीश,
जब तक बहे रक्त इस तन में
अमर रहे मेरा भारत देश।
