क्या तुमने मुझे दिल में बसाया
क्या तुमने मुझे दिल में बसाया
हर पल तुम्हे चाहा बन के रही तुम्हारी साया।
तुम्हें देवता बना के मन मंदिर में अपने बसाया।
पर तुमने क्या किया क्या तुमने मुझे दिल में बसाया।
क्या तुमने कभी सोचा कि बन के रहो तुम मेरा साया।
मेरी रातों के चाँद तुम थे मेरे सुबह का सूरज तुम थे
मैंने सपने सिर्फ तुम्हारे देखे क्या तुमने भी सपनों में सिर्फ मुझे पाया ?
सपनो को छोडो चलो कुछ हकीकत की बात करते हैं.
गैर को देख कर नजर हटाना ये सिर्फ मेरे ही संस्कार करते हैं
क्या तुमने कभी किसी लड़कीको देख कर कभी अपनी नजर को हटाया ?
घर के काम काज किये बच्चों की देखभाल भी की..
पत्नी धर्म निभाते निभाते तबियत अपनी ख़राब भी क़ी
जिंदगी अपनी तुमपर निसार दी
पर तुमने कभी पति का फ़र्ज निभाया ?...
क्यों हर बार बस मै ही जलूँ
क्यों तुम्हारे रास्ते पर मै ही चलूँ.क्या मै भी तुम्हारी तरह इंसान नहीं 2
हर बार स्त्री ही झुके क्यों किसने ये बात कहीहमेशा बन के रहूं
मैं तुम्हारा साया क्या तुम्हारे लबों पर भी नाम मेरा आया ?..
गर्मी में किचन में पसीने से लथपथ।
मेरे हर काम को तुमने नकार दिया.सारा दिन क्या करतीं हो घर में
Bयही सवाल तुमने बार बार किया।
ए. सी में बैठ कर ऑफिस का काम
क्यों तुमको सिर्फ वही काम नजर आया. ?..
आज मेरे हर सवाल का जवाब तुम दो
मेरे एक एक आँसुओ का हिसाब तुम दो.क्यों सजा मिली
मुझे क़िस गुनाह की मेरी आँखों को कुछ तो ख्वाब तुम दो.
क्यों तुम्हारे दिल में सिर्फ मेरा, मेरा नाम अब तक न लिख पाया.
हर पल तुम्हे चाहा बन के रही तुम्हारी साया।
तुम्हें देवता बना के मन मंदिर में अपने बसाया।
पर तुमने क्या किया क्या तुमने मुझे दिल में बसाया।
