तुम बिन
तुम बिन
तुम्हारे बिना कौन रचता ये दुनिया
कैसे बनता ये संसार
ये नदियां कैसे कैसे बहतीं
कैसे पेड़ों में आती जान
सूरज और चांद सितारे
कितने लगते हैं प्यारे
रात और दिन भी कैसे होते
जो तुम ये दुनिया न रचते
इंसान को बुद्धि देकर किया तुमने कितना उपकार
भाषा का वरदान दिया जो
कितना आया जीवन में बदलाव
तुम बिन न बन पाता ये अद्भुत संसार।
