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Anand Jain

Abstract

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Anand Jain

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रोज़गार

रोज़गार

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खाली कंधो पर थोड़ा सा भार चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए।


जेब में पैसे नहीं है डिग्री लिए फिरता हूँ 

दिन ब दिन अपनी नज़रो में गिरता हूँ 

कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए |


Talent की कमी नहीं है भारत की सड़को पर 

दुनिया बदल देंगे भरोसा करो इन लड़को पर 

लिखते लिखते मेरी कलम तक घिस गई 

नौकरी कैसे मिले जब नौकरी ही बिक गई 


नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए।


दिन रात करके मेहनत बहुत करता हूँ 

सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ 

भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं. 

रिश्वत की कमाई खूब मजे से रखा रहे है 


नौकरी पाने के लिए यहा जुगाड़ चाहिए 

बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए।


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