तुम और मैं से हम तक
तुम और मैं से हम तक
अगर खफा तुम हो तो
रूठे हम भी यहां है
सही तुम हो तो
गलत हम भी कहां है
अगर तड़पती तुम हो
तो सुकून हमें भी कहां है
अगर रातों को जागती तुम हो तो
सोते हम भी कहां है
बेचैन तुम हो तो
चैन हमें भी कहां है
अगर सफ़र तुम हो तो
मंजिल की ख्वाहिश ही कहां है
अगर उदास तुम हो तो
खुश हम भी कहां है
अगर साथ तुम हो तो
हमें किसी और की ज़रूरत ही कहां है

