कोचिंग वाला प्यार
कोचिंग वाला प्यार
एक नया और प्यारा एहसास था
वो कोचिंग का प्यार बहुत खास था.
जल्दी पहुंचने की होती बेताबी थी
क्योंकि वो बाकी लड़कियों से पहले आ जाती थी.
नज़रे ढूंढा करती थी उसे हर तरफ
उसके दिखते ही चेहरे पे रौनक आ जाती थी.
बैठा कहीं पे भी होता पर देखा उसी को करता था
उसके मासूम से चेहरे पे ही तो मैं मरता था
जल्दी से काम ख़त्म करके उसको देखा करता था
टीचर सब्जेक्ट पढ़ाते थे मैं उसका चेहरा पढ़ता था
कुछ दोस्त मुझे उसके नाम से चिढ़ाते थे
उसके आस पास होने पर भाभी भाभी चिल्लाते थे
ना वो इस बात से अनजान थी
मैं उसपे मरता था और वो मेरी जान थी
क्लास में जवाब दे कर उसका अटेंशन पाता था
वो मुस्कुरा देती थी ओर मैं पिघल जाता था
जिस दिन वो ना आती थी मेरा मन कहां लगता था
एक घंटा भी मुझे एक साल लगता था
दिन साल बीत गए अब रह गई है सिर्फ यादें
उसकी ओर मेरी की हुई दुनिया भर की बातें
पर आज भी वो मेरे लिए वो प्यारा सा एहसास है
क्योंकि कोचिंग का प्यार होता ही कुछ खास है!

