STORYMIRROR

Bhoop Singh Bharti

Abstract

4  

Bhoop Singh Bharti

Abstract

"चाय की चुस्की"

"चाय की चुस्की"

1 min
270

चाय की महिमा है न्यारी।

लगे चाय की चुस्की प्यारी।।


जब जब हमको नींद सताए,

चाय की चुस्की उसे भगाए,

चाय की छाई है खुम्मारी।


जब जब तन में सुस्ती छाए,

चाय की चुस्की ताजगी लाये,

सुबह शाम पीते नरनारी।

लगे चाय की चुस्की प्यारी।।


जब भी सिर में दर्द हो जाये, 

चाय की चुस्की दर्द मिटाए,

चाय की प्याली सब पर भारी।


जब घर में मेहमान आये,

चाय की चुस्की मान बढ़ाये,

चाय की आदी दुनिया सारी।


अदरक तुलसी वाली चाय,

सबके मन को देती हरषाय,

चाय की चुस्की करदे यारी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract