कुंडलिया
कुंडलिया
1 min
387
सारा कुणबा खप गया, न्यारा था बलिदान।
चिड़ी लड़ाई बाज तै, मिटा दिया अभिमान।।
मिटा दिया अभिमान, औरंगजेब छकाया।
बणा खालसा पंथ, धर्म का मान बढ़ाया।।
सवा लाख पै एक, शेर यो पड़गा भारा।
कर रहा देस नमन, गुरु गोबिंद नै सारा।।