आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर
जो है हाल आज विश्व का,
उससे बहुत लग रहा है डर।
मन भ्रमित है कि ये है कोई,
बुरी शक्ति का भूतिया असर।
तांडव तो मृत्यु का दिख रहा,
हर देश गांव और हर शहर।
अब बिसार मन से डर का भाव हर,
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर।
व्याधियां प्रदत्त सूक्ष्म जीवों से,
मानव पर तो हैं ढा रहीं प्रलय।
आबद्ध प्राकृत नियमों से जो,
सशक्त मन आज है वही अभय।
रह सावधान सहायक प्रभु हैं मान
आचरण तू सदा परमार्थ का कर।
अब बिसार मन से डर का भाव हर,
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर।
ब्लैक-फंगस हो या कोरोना हो,
कोई व्याधि ही हो अति जटिल।
शक्ति आसुरी न बिगाड़ पाएगी,
धर धीर विश्वास प्रभु पर अटल।
भय करता है सदा निर्बल हमें तो,
हर भय का तू मन से त्याग कर।
अब बिसार मन से डर का भाव हर,
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर।
बाधाएं पथ में कर रहे खड़ी अनेक,
कहने को तो वे सब भी तो अपने हैं।
वे सब हैं कुबुद्धि और दुष्ट भी अति ,
तुझे सार्थक करने प्रभु के ही सपने हैं।
तू गांडीव उठाकर अब पार्थ बन,
समग्र शक्ति से इनका त्वरित विनाश कर।
अब बिसार मन से डर का भाव हर,
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर।
अरि अहि समान मानवीयता के हैं जो,
आतंक अखिल जगत में हैं मचा रहे।
प्रक्रिया है चल रही है उनके दण्ड की,
विरोधी स्वर रहे हैं उठ न इसे पता रहे।
ठहर नहीं तू शोर से समूल नाश व्याधि ,
युद्ध के अंत का तब ही शंखनाद कर।
अब बिसार मन से डर का भाव हर,
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर।
जो कंटक है धर्म के मार्ग के सकल,
उत्पात करते हैं जो आसुरी शक्ति से।
तू कर धर्म का सतत् ही प्रसार कर,
निज आत्मबल और प्रभु की भक्ति से।
अशुभता के बल का समूल नाश हो,
वसुधा पर शुभता बने अजर-अमर।
अब बिसार मन से डर का भाव हर,
आसुरी शक्तियों का समूल नाश कर।