प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन
प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन
प्यारी होती आजादी हम सबको,
पर प्यारे होते हमको कुछ बंधन।
जिनमें बॅंधना है हितकर शुभकर,
ऐसा प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन।
प्राणी सीखता है विविध विद्याएं,
अर्जित करता है अतुलित शक्ति।
निज रक्षा हो अजेय बने जग में,
हर भय से ही पा जाए वह मुक्ति।
धमका निर्बल को भयभीत करे,
कर शक्तिशाली का वह वंदन।
जिनमें बॅंधना है हितकर शुभकर,
ऐसा प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन।
है शक्ति बढ़ाता रक्षाबंधन बंधन,
देता अपरिमित हम सबको शक्ति।
सकारात्मक सहयोगी भाव संग,
निर्भय आनंदित होता हर व्यक्ति।
समझ सभी को ही अपने जैसा,
बेशर्त खुशी दें कर अभिनंदन ।
जिनमें बॅंधना है हितकर शुभकर,
ऐसा प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन।
कुटुंब अखिल विश्व जब अपना,
सर्वशक्तिमान प्रभु ही पितु-माता।
तो प्राणिमात्र ही निज परिजन है,
हर कण- कण संग निजता नाता।
जो स्वार्थ छोड़ रहें त्याग को तत्पर,
यह मॉं वसुधा ही बन जाएगी नंदन।
जिनमें बॅंधना है हितकर शुभकर,
ऐसा प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन।
प्यारी होती आजादी हम सबको,
पर प्यारे होते हमको कुछ बंधन।
जिनमें बॅंधना है हितकर शुभकर,
ऐसा प्यारा पर्व होता रक्षाबंधन।
