ख़्याली पुलाव
ख़्याली पुलाव
कभी - कभी मन में ख्याल आता है कि
विदेश जाकर बस जाऊं
और अपनी पहचान बदल डालूं
मैं कौन हूँ, मेरा देश कौन - सा है
और मेरा किसी से क्या रिश्ता - नाता है
लेकिन फिर ख्याल आता है कि
ऐसा करने से मुझे
नया नाम, काम और इज़्ज़त तो मिल जाएगी
लेकिन मेरी पहचान कहीं खो जाएगी
और बिना पहचान के इंसानकी हालत
उस ऊँचे वृक्ष की भांति हो जाती है
जिसके पास से लोग ऐसे गुज़र जाते हैं
जैसे उसके होने - न - होने से
किसी को कोई फ़र्क़ ही ना पड़ता हो।
