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ritesh deo

Abstract Inspirational

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ritesh deo

Abstract Inspirational

सपने तुम्हारे हैं

सपने तुम्हारे हैं

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 हैं यह सपने,

जो तुम्हारे,

क्या हैं तुम्हारे?

या किसी और ने,

दे दिए हैं उधार,

और हो चुकाते,

कीमत बहुत महंगी,

सांसों को,

लगा कर दांव


सांसें, वे सांसें,

लौटकर न,

आती हैं कभी,

जतन कर लो,

चाहे सभी,

कीमत जितनी भी,

दे दो चाहे,

नहीं लौटेगा वह,


खो गई

जिसकी राहें,

राहें भी ये,

क्या हैं तुम्हारी ?

तुम्हें जिन पर,

गया है चलाया,

जिस पर तुमने,

खुद को पाया,


मंजिल भी वह,

उधार की है,

गर लगती,

बेकार सी है,

लगाते हो,

दांव पर,

खुद को,

लिए जिनके,

वे चीजें

कई तो,

बेहद अमूल्य,

बेच जाती हैं तुम्हें,


उस बाजार में,

हुआ नहीं,

कभी किसी का,

न जाने कौन सी?

तृष्णा है यहां,

कोई भी खुद को

पाता नहीं यहां,

भविष्य की

ओर है खींचती,


है देती लालच,

खुशी सारी है,वहां,

लगते हो काम पर,

जाने को वहां,

पाने को वह खुशी,

पर वह तो,

कहीं जा चुकी है,

तुमसे शरमा चुकी है,

फिर बैठी है,दूर

क्षितिज पर कहीं,

रास्ता जिसका,

तय करना है,


सपने के लिए

पल-पल मरना है,

वह हाथ,

लगता था जिनको,

लिया है छू,

हैं अब भी खाली,

वीरान और सूखे,

उनके लिए केवल,

जिसने तुम्हें

दिखाए सपने,

कि तुम बहुत,

बलशाली,

भाग्यशाली,


छू लोगे,

पा लोगे,

कर लोगे,

फतेह दुनिया,

चांद-सितारे

होंगे तुम्हारे,

मुझे यकीन है,

तुम पर और,

बातों,सपनों पर,

देखे हैं जो,


खालीपन पर,

भरता नहीं

कभी जो,

जरूर भर पाओगे,

जी लोगे,

सपनों को उन,

पर तब शायद

साथ तुम्हारे,

नहीं होऊंगा मैं,


लौट कर उन,

यात्राओं से,

पाओगे नहीं तुम मुझे,

चला गया होऊंगा,

दूर कहीं,

अनंत यात्रा पर,

वापसी जहां से

नहीं होती मुमकिन !


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