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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

शक्ति स्वरूपा नारी

शक्ति स्वरूपा नारी

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सहयोगी के सदा ही हमें है रहना आभारी,

सहधर्मिणी और विविध रूप में रही नारी।

शक्ति से ही होते हैं इस जग के काम हमारे,

जीवन की पूर्णता होती नारी शक्ति के सहारे।


आगमन हमारा हुआ है मातृशक्ति के सहारे,

वात्सल्य प्रेम -पोषण तो मॉं से ही मिले सारे।

सारे जग से नौ मास ज्यादा मॉं से रिश्ता हमारा,

सारे रिश्तों से अलग रिश्ता होता मॉं से हमारा।


दुहिता भगिनी संगिनी सहधर्मिणी रूपों में नारी,

सम्मानित सहयोगिनी हर युग में रही बहुत प्यारी।

दुनिया समाज देश तब ही सभ्य सुसंस्कृत बनेगा,

समानता सम्मान संग नारी-पुरुष का जब रहेगा।


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