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YOGESH KUMAR SAHU

Abstract Inspirational

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YOGESH KUMAR SAHU

Abstract Inspirational

* अनमोल तेरा प्यार माँ *

* अनमोल तेरा प्यार माँ *

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जब से संभाला है होश मैंने,

बस तुम्हे हमारे लिए ही जीते देखा।

सुबह - शाम हर पहर मेरा,

स्नेह में तुम्हारे बीतते देखा।


हर दर्द हर एक तकलीफ मेरी,

तुमने खुद ही झेली है।

सच कहुं माँ तू ही मेरी मित्र और

तू ही मेरी सहेली है।।


नि:स्वार्थ प्रेम की मूरत तुम ,

इस धरा में ईश की सूरत तुम।

हर शास्त्र तेरा गुणगान करें,

सबसे पावन महुरत तुम।।


गंगा की पावन धार तुम्ही,

सुमनों की सुंदर हार तुम्ही।

रौशन होती ये जहान जिससे,

दिव्य प्रकाश की सार तुम्ही।।


अनमोल है तेरा प्यार माँ,

ईश्वर भी जिसे पाना चाहते है।

तभी तो छोड़ तमाम खुशियाँ स्वर्ग की,

तेरे चरणों में शीश नवांते है।


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