शतरंज
शतरंज
चौसठ खाने और शतरंज की बिसात सी जिंदगी,
खुद के कर्मो की चाल पर, शह मात का खेल जिंदगी।
काले सफेद खानों में, मोहरा बना इंसान करता इसकी बंदगी,
प्यादा हर इंसान, हाय ! दिल दिमाग की कश्मकश भरी जिंदगी,
घोड़े की अढाई चाल चलता जीवन, ख्वाहिशों, सपनों का मेला,
हाथी सी मदमस्त चाल से चलता वक्त, उम्मीद, संघर्षों का रेला,
वजीर की टेढी मेढी चालों की मानिंद, सुख दुःख आता जाता है,
राजा सा हर चाल में अव्वल इंसान, इसकी जद्दोजहद में फंस जाता है।
परमात्मा की इस बिसात पर, वही इंसान हारी बाजी जीत जाता है,
जो उसकी बख्शी मासूमियत से, जीवन के हर पल को संभाल ले जाता है।
