पहेली
पहेली
पहेली सा किरदार अहसासों का,
जिंदगी जैसे सफर जज़्बातों का,
बूझी अनबूझी ,कही अनकही, कशमकश भरी बातें है,
अपनी नजरिये, समझ, से लोग रिश्तों का सफर निभाते है,
कही बेतहाशा मुहब्बत, कहीं मायूसी ,मुफ़लिसी के रेले है,
इंसानी जज़्बातों में खुदगर्जी, नाफ़रमानी, के मेले है,
कभी अपनेपन, कभी शफाओं सी मुकम्मल लगती है
ऐ जिंदगी!तू आसमां- जमीं के बीच अनबूझ पहेली लगती है।