द्रौपदी
द्रौपदी
भरी सभा में आहत एक नारी ने कितनी बड़ी हुंकार भरी थी?
द्रौपदी ने अपने सम्मान की खातिर,अकेले महाभारत रची थी,
पांडवों के युद्ध में उनकी शौर्य गाथा से, महाभारत सजाया गया
उस युद्ध की परिधि में,खड़ी नारी की कथा को भुलाया गया,
घायल शरीर,आत्मा,के साथ भी जो लड़ी स्वाभिमान के लिए,
उसे प्रतिशोध की ज्वाला में जलती विध्वंसक नारी बताया गया
गोविंद ने चुना जिसे धर्म युध्द के अप्रत्यक्ष योध्दा के रूप में,
उसे पांचाली का तमगा देकर, असहाय, बेसहारा बताया गया,
पांडवों,कौरवों,पितामह, द्रोण जैसे शूरवीरों का शौर्य गाया गया
कर्ण,अश्वत्थामा,सरीखे किरदारो को भी सराहा गया,
तब भी पुरूष समाज भूल गया ,सशक्त नारीयों को उभारना,
कुंती ,गांधारी,सत्यवती,की अंतर्द्वंद की महाभारत को बताना,
द्रौपदी के अन्तर्मन की चित्कार को, महाकाव्य की कथा में बताना।
कब तक सशक्त नारियों की कथा,उपेक्षित रखी जाती रहेगी,
उनके अंतर्द्वंद की व्यथा को दरकिनार कर,पुरूषों के वर्चस्व की महाभारत लिखी जाती रहेगी।