आज भी बसती है तुम्हारी यादें ! आज भी बसती है तुम्हारी यादें !
स्वतंत्र हुआ था उद्भव मेरा तो क्यों ना मैं स्वाधीन रहूं? स्वतंत्र हुआ था उद्भव मेरा तो क्यों ना मैं स्वाधीन रहूं?
तुम्हें राज तिलक मिला मुझे सरेआम जलाया गया तुम्हें राज तिलक मिला मुझे सरेआम जलाया गया
रहते हम जिस दुनिया में वो है शब्दों का संसार सच्ची शांति ना मिलेगी यहां पर शोर है। रहते हम जिस दुनिया में वो है शब्दों का संसार सच्ची शांति ना मिलेगी यहां पर शो...
कुछ ऐसा लिख दो कि ये पाप मुक्त संसार बने। कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे। कुछ ऐसा लिख दो कि ये पाप मुक्त संसार बने। कलम बने तलवार और कविता फिर हुंकार भरे।
कल कोई गांडीवधारी आ के रण में, हुंकार करके महाभारत ना रच दे ! कल कोई गांडीवधारी आ के रण में, हुंकार करके महाभारत ना रच दे !