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ठाकुर साहब पूरे गांव की परिवार सी ही देखभाल करते थे ठाकुर साहब पूरे गांव की परिवार सी ही देखभाल करते थे
तुम्हारी छवि मेरी स्मृति पटल पर आज भी वैसी ही जीवन्त है। वह हरे भरे खेत दूर तक! तुम्हारी छवि मेरी स्मृति पटल पर आज भी वैसी ही जीवन्त है। वह हरे भरे खेत दूर तक!
परंतु उसकी टोकरी अनगिनत पुण्य से भरी हुई थी। और वह खाली हाथ नहीं गया था। परंतु उसकी टोकरी अनगिनत पुण्य से भरी हुई थी। और वह खाली हाथ नहीं गया था।
अनिल सोचता हुआ घर की सीढियां चढ़ने लगा। अनिल सोचता हुआ घर की सीढियां चढ़ने लगा।
" सुना है ! जो इस किले में बंद हो जाता है, वह बच नहीं पाता ।" " सुना है ! जो इस किले में बंद हो जाता है, वह बच नहीं पाता ।"