सरहद
सरहद
भारत मां की खातिर
तुम थे सरहद पर
ले रहे थे लोहा दुश्मनों से
हुंकार तुम्हारी ऐसी कि
छक्के छूट गए घुसपैठियों के
आतंकी भी तो
गिन रहे थे अंतिम सांसें !
गर्व होता था मुझको तुम पर
तुम्हारी बहादुरी के
कारनामे सुनकर !
इसी बीच तुम
दस्तक दे रहे थे -
ख्वाहिशों-भरे -
मेरे ख्वाबों की सरहद पर !
जहां थे क़ैद -
तमाम ज़खीरे !
उन ज़खीरों में हरदम
रहते थे तुम
मगर
साथ तुम्हारे -
आज भी बसती है
तुम्हारी यादें !