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Anita Bhardwaj

Abstract Inspirational

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Anita Bhardwaj

Abstract Inspirational

बँटवारा

बँटवारा

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आज बँटवारा कर रहीं हूँ,

दुखों का, उदासियों का,

पर ये बाँटकर 

किसके हिस्से में लिखोगी

ये सवाल फिर आया मन में

दर्पण को देखा 

फिर बिखरे बाल सँभाले

और दुखों को दे दिया 

दर्पण के हिस्से, 

फिर उठी और देखा ,

उन सारी आँखों को

जो मुझपर टिकी थी 

ये सोचकर की ऐसे 

जीवन का अंत तो मौत ही है,

ये भी नहीं जी पाएगी

फिर उदासियों को रख दिया 

अपनी डायरी में छुपाकर

अब वो करना है 

जो कर दिखाना मुश्किल है 

दुनिया की नज़रों में। 

        


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