मुझ में आधे तुम हो तुम में आधी मैं हूं मुझ में आधे तुम हो तुम में आधी मैं हूं
खुद को ही पढ़ाता पढ़ता रहा मैं खुद को पढ़कर समझता रहा मैं खुद को ही पढ़ाता पढ़ता रहा मैं खुद को पढ़कर समझता रहा मैं
कितने हिस्सों में बँटा हूँ, कहने आया हूँ देख तेरे शहर में फिर आया हूँ। कितने हिस्सों में बँटा हूँ, कहने आया हूँ देख तेरे शहर में फिर आया हूँ।
हर पल आशा और निराशा से जूझता मन और कुछ नहीं बस, अब हिस्से है ज़िन्दगी के।। हर पल आशा और निराशा से जूझता मन और कुछ नहीं बस, अब हिस्से है ज़िन्दगी के।।
फुरसत में अक्सर याद आते थे हमें बचपन के वो सुहाने दिन चलो एक बार फिर बचपन को जी लेते फुरसत में अक्सर याद आते थे हमें बचपन के वो सुहाने दिन चलो एक बार फिर बचपन ...
मौसी से और चाची से पाए प्यार के हिस्से जीवन की है थाती वो नानी- दादी के किस्से मौसी से और चाची से पाए प्यार के हिस्से जीवन की है थाती वो नानी- दादी के किस्स...