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Sujata Kale

Romance

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Sujata Kale

Romance

देख तेरे शहर में फिर आया हूँ

देख तेरे शहर में फिर आया हूँ

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देख तेरे शहर में फिर आया हूँ

कट गया पर उग आया हूँ,

देख तेरे शहर में फिर आया हूँ।


रात ही तो बीती थी कटने के बाद

मैं जिंदा हरा भरा दिल लाया हूँ ।

जड़ से उखाड़ दिया, धड़ से गिरा दिया

बाजू कटी है मेरी पर मैं खिल आया हूँ

देख तेरे शहर में फिर आया हूँ।


तनिक गम नहीं है कट जाने का

पर जिंदा हूँ इसलिए जीवन लाया हूँ

बज्र नहीं गिरी मुझ पर आरी चलाई है।

कितने हिस्सों में बँटा हूँ, कहने आया हूँ

देख तेरे शहर में फिर आया हूँ।


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